गुरुवार, 23 फ़रवरी 2017

कुछ कविताएँ – जयकृष्ण राय तुषार

कविता का अंश… फिर मौसम बाँहों में भरना…. आएँगे, फिर अच्छे दिन आएँगे। हम खेतों में धान रोपकर गाएँगे। कुछ दिन और प्रतीक्षा करना, फिर मौसम बाँहों में भरना, सुख के दिन राहों में फूल सजाएँगे। प्रकृति होंठ पर दही लगा आचमन करेगी, कहीं अजंता, कहीं एलोरा माँग भरेंगी, पीले बाँसों में करील अंखुआएँगे। हारिल तोते टहनी-टहनी डोलेंगे, हम भी उनकी ही भाषा में बोलेंगे, पपीहे पंचम दा के सुर में गाएँगे। आसमान के बादल होंगे झीलों में, स्वप्न हमारे होंगे कोसों मीलों में, हम हाथों में कोई हाथ दबाएँगे। आएँगे, फिर अच्छे मौसम आएँगे। ऐसी ही अन्य भावपूर्ण कविताओं का आनंद ऑडियो की मदद से लीजिए…

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