गुरुवार, 5 जनवरी 2017

नीति कथा –1- कुत्ता और हड्डी

कहानी का अंश…. एक दिन एक कुत्ते को रसदार हड्डी का एक टुकड़ा मिला। मुँह में दबाकर वह एकदम भाग निकला। उसने इधर-उधर देखा कि कहीं कोई दूसरा कुत्ता तो नहीं है, जो उसकी हड्डी को उससे झपट लेगा। जब उसे यकीन हो गया कि आसपास कोई दूसरा कुत्ता नहीं है, तो वह आगे बढ़ा। उसने उस हड्डी को किसी बाग में जाकर शांति से बैठकर खाने का विचार बनाया। रास्ते में एक नदी पड़ती थी। उसे वह नदी पार करनी थी। जैसे ही नदी पार करने के लिए वह पुल पर चढ़ा कि उसे पानी में अपनी परछाई दिखाई दी। उसने अपनी परछाई को दूसरा कुत्ता समझ लिया। वह उसे करीब से देखने के लिए रूका। उसने देखा कि जो कुत्ता पानी में है, उसके मुँह में भी हड्डी का एक टुकड़ा है। उसके मन में लालच आ गया और वह उस टुकड़े को पाने के लिए बेचैन हो उठा। उसने सोचा कि अगर वह जोर-जोर से भौंकेगा, तो दूसरा कुत्ता डरकर हड्डी छोड़कर भाग जाएगा। बस इसी विचार से उसने जैसे ही भौंकने के लिए मुँह खोला कि उसकी अपनी हड्डी का टुकड़ा भी पानी में गिर गया। किसी ने सच ही कहा है – लालच बुरी बला है। इस कहानी का आनंद ऑडियो की मदद से लीजिए…

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