रविवार, 11 सितंबर 2016

कहानी – गुड़िया रानी – गुरुदत्त

कहानी का अंश… उच्च शिक्षा ग्रहण कर लेने पर भी हरीशचंद्र सादा और सदाचारी व्यक्ति था। खद्दर की धोती, कुर्ता तथा साधारण चप्पल में वह बिलकुल ही सामान्य तथा सरल स्वभाव का प्रतीत होता था। वह अनेक समाचार पत्रों का संवाददाता था। लेखन कार्य के द्वारा ही वह अपनी आजीविका चलाता था। एक दिन, जब वह किसी प्रसिद्ध व्यक्ति के पत्रकार सम्मेलन से वापस घर आया, तो उसके पिता ने उसे एक पत्र थमाया। जिसके अनुसार उसे लाहौर लड़की देखने के लिए जाना था। लड़की के पिता चाहते थे कि लड़का-लड़की दोनों ही एक-दूसरे को देख लें। उनकी लड़की लड़के को देखने के बाद ही अपना निर्णय करना चाहती थी। हरीश को यह बात बिलकुल पसंद नहीं आई लेकिन उसको पिता के कहने पर लाहौर जाना ही पड़ा। लाहौर जाने के बाद एकाएक ऐसी घटना हो गई कि जिसकी उसने कल्पना ही नहीं की थी। वहाँ बाजार में एक दुकान पर वह किसी काम से गया और उसी दुकान में उसकी मुलाकात अनजाने में ही उस लड़की से हो गई, जिसे वह देखने के लिए लाहौर आया था, जिसे लेकर उसने भविष्य की कल्पना की थी। आधे घंटे तक दुकान में उस लड़की को देखने के बाद उसने उसके संबंध में और अपने भविष्य के संबंध में एक ठोस निर्णय लिया। क्या था वह निर्णय? यह जानने के लिए ऑडियो की मदद लीजिए…

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