सोमवार, 29 अगस्त 2016

विज्ञान कविता – आइसक्रीम कोन – सुधा अनुपम

कविता का अंश... अमेरिका के सेंट लुई में, लगता था एक मेला, लोग खरीदी करने आते, लेकर पैसा धेला। भीषण गरमी के मौसम में, होती भीड़ अपार, आइसक्रीम से ठंडक पाते, होकर जन लाचार। चार्ल्स मेन्चेज़ बेचा करता, प्लेटों में आइसक्रीम, लोग चहककर खाते जैसे, हो पूरा कोई ड्रीम। सन् उन्नसी सौ चार मे, अगस्त माह की घटना, सेंट लुई यूँ तप रहा था, ज्यों गरमी में पटना। अल्ल सुबह से ही मेले में, जुट गई भीड़ अपार, आइसक्रीम खाने वालों की, लगने लगी कतार। मम्मी-पापा, दादा-दादी, थे बच्चों के साथ, चार्ल्स मेन्चेज़ चला रहा था, जल्दी-जल्दी हाथ। भाग्य में उसके लिखा हुआ था, एक अजूबा होना, प्लेटे सारी जूठी हो गई, मुश्किल उनका धोना। ग्राहक सर पर खड़े हुए थे, करते चीख-पुकार, कहीं और वे च ले गए तो, घाटे में व्यापार। इस अधूरी कविता को पूरा सुनने के लिए ऑडियो की मदद लीजिए…

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