मंगलवार, 30 अगस्त 2016

लघुकथा - बोलती ख़ामोशी - आशीष त्रिवेदी

कथा का अंश... मैं न्यूज चैनल की तरफ से एक हत्या के मामले को कवर करने गया था. पिछड़े वर्ग के एक व्यक्ति भोला को कुछ दबंगों ने पीट पीट कर मार डाला था. गांव के दलित समाज में इस बात को लेकर बहुत गुस्सा था. पंचायत के चुनाव होने वाले थे. प्रधान के पद के लिए ठाकुर बाहुल इस गांव में सत्यनारायण सिंह खड़े थे. उनके विरुद्ध दलित समाज से हल्कू महतो चुनाव लड़ रहे थे. भोला उनके प्रचार के लिए दीवारों पर पोस्टर चिपकाने का काम कर रहा था. तभी सत्यनारायण सिंह के समर्थक वहाँ आए और लगे हुए पोस्टर फाड़ने लगे. आपत्ति करने पर उन लोगों ने गाली गलौज आरंभ कर दी. भोला को भी क्रोध आ गया. उसने भी दो चार सुना दीं. इस पर सबने मिल कर उसे खूब पीटा. उसे गंभीर चोटें आईं जिसके कारण उसकी मौत हो गई. चुनावी माहौल मे मामले ने तूल पकड़ लिया. मैं संबंधित थाने पहुँचा. चैनल को बताते हुए थाना प्रभारी ने कहा "दोषियों को छोड़ा नही जाएगा. चाहें वह कोई भी हों." गाँव वालों से बात करने के बाद मैं मृतक के घर गया. वहाँ उसकी विधवा से मिला. मैंने उससे भी पूंछ ताछ करनी चाही. इस अधूरी कहानी को पूरा सुनने के लिए ऑडियो की मदद लीजिए…

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