शुक्रवार, 26 अगस्त 2016

बाल कविता - व्यंजन माला - 4 - प्रभाकर पाण्डेय ‘गोपालपुरिया’

दिव्य दृष्टि के श्रव्य संसार में कविता के माध्यम से हिंदी भाषा के वर्णों के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं, वर्णों के अंतर्गत स्वर और व्यंजन दोनों आते हैं। मानक हिंदी के वर्णमाला के अनुसार देवनागरी लिपि में 11 स्वर, 2 अयोगवाह अं और अ: तथा 35 व्यंजन, 4 संयुक्त व्यंजन और 3 आगत ध्वनियाँ शामिल हैं। इस प्रकार हिंदी वर्णमाला के वर्णों की संख्या 55 है। स्वरों के बारे में जानकारी प्राप्त् कर लेने के बाद अब बारी है व्यंजनों की। व्यंजनों में ‘क’ वर्ग, ‘च’ वर्ग और ‘ट’ वर्ग के बाद अब बारी है ‘त’ वर्ग की - त कहता है, प्यारे बच्चों, तुम बनो सबके दुलारे, अच्छे काम करते जाना, मेहनत से पढ़ते जाना। सूर्य जैसा तुम चमकोगे, गुलाब जैसा तुम महकोगे, प्यार करे तुम्हें दुनिया सारी, तुम्हारी सूरत लगे सबको प्यारी। त से तकली, त से तराजू, तराजू से वह तौल रहा काजू, तकली से सूत काता जाता, तराजू तौलने के काम आता। त से तकली, नाच रही है, देखो सूत वह कात रही है, जैसे-जैसे नाचते जाती, वैसे-वैसे सूत कातते जाती। माँ उस सूत को लपेटा करती, और उसका गुच्छा बनाती, इस सूत से जनेऊ भी बनते, जिसे हम कुछ लोग पहनते। इसी प्रकार ‘त’ वर्ग के अन्य व्यंजनों के बारे में ऑडियो के माध्यम से जानकारी प्राप्त कीजिए...

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