शनिवार, 6 अगस्त 2016

बाल कविता - 2 - द्वारिकाप्रसाद माहेश्वरी

कविता का अंश... पूसी बिल्ली, पूसी बिल्ली कहाँ गई थी? राजधानी देखने मैं दिल्ली गई थी! पूसी बिल्ली, पूसी बिल्ली क्या वहाँ देखा? दूध से भरा हुआ कटोरा देखा! पूसी बिल्ली, पूसी बिल्ली क्या किया तुमने? चुपके-चुपके सारा दूध पी लिया मैंने! ऐसी ही अन्य कविताओं का आनंद ऑडियो की मदद से लीजिए...

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