मंगलवार, 5 जुलाई 2016

बाल कविताएँ - वसु मालवीय

कविता का अंश... मम्मी की भी मम्मी हैये अपनी प्यारी नानी, दुलरा देती जब हम करते- हैं कोई शैतानी। नहीं मारती, नहीं डाँटती बिल्कुल सीधी सादी, उतनी ही बुढ़ी है, जितनी- बूढ़ी मेरी दादी। लोरी गाकर कभी सुलाती- या फिर परी कहानी! बाँच-बाँच लेती रामायण- की पोथी घंटे भर, खेल-कूद कर गुड़िया लौटी मिट्टी पोते मुँह पर। हँसती-हँसती मुँह धुलवाती नानी लेकर पानी! झुर्री पड़े गाल हैं उसके बाल मुलायम रेशम, नकली दाँत लगाए नानी हमको बाँटे चिंगम। पेपर पढ़ती लेकर ऐनक तिरछी सधी कमानी! ऐसी ही अन्य बाल कविताओं का आनंद ऑडियो की मदद से लीजिए...

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