बुधवार, 30 मार्च 2016

अतीत का मोह - डॉ. महेश परिमल

घर की पुरानी चीजों को निकालने का काम जारी था। बेटे को सभी चीजें बेकार लग रही थी। कबाड़ी भी खुश था कि उसे कई कीमती चीजें कम दामों में मिल रही थी। घर के स्टोर के बाद बारी आई घर की छत पर रखे गए सामान की। वहाँ बहुत-सी चीजों के साथ एक पुरानी साइकिल रखी हुर्इ् थी। जब बेटे ने कबाड़ी से साइकिल ले जाने के लिए कहा, तब इतने समय से खामोश होकर मूक दर्शक बनी माँ से नहीं रहा गया। वह बोल उठी- बेटा, इस साइकिल को मत बेचो। ये तुम्हारे स्वर्गीय पिता की अंतिम निशानी है। अमीर बेटे को एक कबाड़ी के सामने अपनी बेइज्जती महसूस हुई। वह झेंप गया और माँ को एक अलग कमरे में ले गया और उसे भला-बुरा कहने लगा। वह अपनी अमीरी की दुहाई दे रहा था और माँ अपने अतीत का मोह छोड़ नहीं पा रही थी। अतीत का मोह किसे नहीं होता ? हर किसी को अपना अतीत प्यारा होता है। हर कोई अपने अतीत के सुनहरे पलों को याद कर उनमें अपना वर्तमान खो देता है और कुछ पल अमूल्य बना लेता है। अतीत से जुड़ना बुरा नहीं है, पर उसे लाश के रूप में ढोते रहना बहुत बुरा है। अतीत का मोह तभी रखना चाहिए जब वह हमें भविष्य में वैसी ही गलती करने से रोक ले। अतीत से जुड़ी कुछ ऐसी ही अमूल्य बातों के बारे में सुनिए इस लेख के माध्यम से...

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