मंगलवार, 13 अक्तूबर 2015

स्कूल का अंतिम दिन




आज के बच्चे स्कूल जाकर वहाँ इतने रम जाते हैं कि वे स्कूल छोड़ना ही नहीं चाहते। 12 पास करने के बाद भी वे अपनी स्कूल की यादें दिल से नहीं भुला पाते हैं। एेसी ही एक 12 वीं पास युवती की जुबानी सुनें कि वह क्यों स्कूल छोड़ना नहीं चाहती। यह कविता है भारती परिमल की और उसे पढ़ा है उनकी बेटी अन्यूता परिमल ने

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Post Labels