शनिवार, 23 अगस्त 2014

ईश्वर! मेरे देश को ‘इबोला’ से बचाना

डॉ. महेश परिमल
इस समय पूरे विश्व में खतरनाक बीमारी ‘इबोला’ की चर्चा है। इस बीमारी ने अब तक हजारों लोगों की जान ले ली है। डॉक्टर पसोपेश में हैं, उनके पास इसका कोई इलाज ही नहीं है। कई देश इस बीमारी से इतने अधिक आक्रांत हैं कि इस बीमारी से ग्रस्त देशों से आने वाले लोगों को अपने देश में घुसने ही नहीं दे रहे हैं। यह बीमारी इतनी खतरनाक है कि केवल 15-20 दिनों में ही इंसान मर जाता है। ‘इबोला’ एक ऐसा वाइरस है, जो तेजी से फैलता है। इंसान जब तक कुछ समझे, तब तक बहुत ही देर हो जाती है। इससे वह बच ही नहीं सकता। अब तो पूरे विश्व में करीब एक हजार लोग इसकी चपेट में आकर अपनी जान गंवा बैठे हैं। यदि शीघ्र ही इस पर काबू न पाया जा सका, तो यह एक महामारी के रूप में पूरे विश्व में फैल सकता है। लाइबेरिया की राष्ट्रपति एलेन जॉनसन सरलीफ ने महामारी का रूप ले चुके एबोला विषाणु के संRमण से लड़ने के लिए देश में आपातकाल की घोषणा कर दी है।
पश्चिम अफ्रीकी देशों में एबोला के वाइरस ने काफी उत्पात मचाया है। लाईबेरिया, गुयाना, सिएरा लियोन में लोग इस बीमारी से ग्रस्त है। केवल गिनी में ही 200 से अधिक लोगों की मौत इससे हुई है। यह वाइरस इसलिए इतना खतरनाक है, क्योंकि यह संक्रामक है। जो कोई इस बीमारी के मरीज के सम्पर्क में आता है, वह भी इससे ग्रस्त हो जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पूरे विश्व को इससे सतर्क रहने की चेतावनी दी है। जहां इस वाइरस के होने की पुष्टि हुई है, वहां लोगों से न जाने की अपील की गई है। यदि उस देश से कोई आता भी है, तो उसकी पूरी जांच के आदेश दिए गए हैं। हाल ही में अहमदाबाद के एयरपोर्ट में अफ्रीका से आए लोगों की स्क्रिनिंग की गई। अब तो बात वीसा न देने की भी होने लगी है। ब्रिटेन में इस वाइरस को लेकर जबर्दस्त छटपटाहट है। इसका कारण यह है कि अफ्रीकी देश के कुछ लोग ब्रिटेन आए हुए हें। ब्रिटेन के विदेश सचिव फिलीप हमांडे ने लोगों को सावधान रहने की सलाह दी है। इस बीमारी से ग्रस्त 100 में से केवल 19 व्यक्ति को ही बचाया जा सका है। वह भी उस स्थिति में, जब ‘इबोला’  के प्रारंभिक लक्षण दिखाई दें। यदि इलाज में 4-5 दिन की देर हो जाए, तो मरीज का बचना मुश्किल है। इस बीमारी को एक देश से दूसरे देश पहुंचने में उतना ही वक्त लगता है, जितना एक विमान को दूसरे देश पहुंचने में लगता है। एक बार यदि यह वाइरस हमारे देश में घुस गया, तो उसे रोकना बहुत ही मुश्किल होगा। जब तक हम समझेंगे, तब तक हजारों जानें चली जाएंगी।,
इस वाइरस से फैलने वाली बीमारी के सिम्पटम्स ‘सर्दी’ की तरह हैं। हमें यह लगता है कि यह तो सामान्य सर्दी है, कुछ दिन में ठीक हो जाएगी। ऐसा ही ‘इबोला’  में भी होता है। गले में थोड़ी सी खराश हो, चमड़ी पर कुछ जलन जैसा महसूस हो रहा हो, हाथ-पांव में दर्द, दो दिनों में ही बुखार जोरदार बढ़ जाए, बुखार नियंत्रण में न रहे, इसके साथ ही उल्टी की शिकायत शुरू हो जाए, फिर डायरिया का डर पैदा हो जाए। तो यह सब ‘इबोला’  के लक्षण हैं। इन लक्षणों के साथ शरीर के सभी अंग इससे प्रभावित होने लगते हैं। सारे अंग निष्क्रिय हो जाते हैं, तो मरीज की मौत हो जाती है। लोगों को बर्ड फ्लू याद होगा। इस वाइरस ने कितनी दहशत फैलाई थी। लोग मुंह पर कपड़ा बांधकर घर से बाहर निकलते थे। अस्पतालों में उसके लिए विशेष वार्ड की व्यवस्था की गई थी। इस बीमारी से जिस व्यक्ति की मौत हो जाती थी, उस व्यक्ति की लाश घर ले जाने के लिए मना कर दिया जाता था। उसकी अंत्येष्टि में भी काफी परेशानी होती थी। ‘इबोला’  वाइरस बर्ल्ड फ्लू से भी अधिक खतरनाक है। इसलिए यदि इसका मरीज कहीं दिखाई दे गया, उस कल्पना से ही लोग कांपने लगते हैं। अभी तक यह वाइरस हमारे देश में नहीं आया है। पर कई भारतीय अफ्रीकी देशों में हैं, यदि वे स्वदेश लौटते हैं, तब काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। सरकार यदि सचेत होकर इस दिशा में सख्त कार्रवाई करे, तो संभव है इसके वाइरस को देश में प्रवेश पर रोका जा सकता है। वाइरस को कोई सीमा बांध नहीं सकती, पर सावधानी आवश्यक है। अब लाइबेरिया की ही बात ले लो, इस देश ने ‘इबोला’  से बचने के लिए देश में ही आयोजित फुटबॉल टूर्नामेंट ही स्थगित कर दिया। ऐसे स्थानों पर विशेष नजर रखी जा रही है, जहां कई लोग रोज ही इकट्ठे होते हों। सरकार ने यह ताकीद कर दी है कि यदि किसी को ‘इबोला’ के लक्षण दिखाई देते हैं और वह डर के कारण कहीं छिपा है, तो उसे तुरंत ही करीब के अस्पताल से सम्पर्क करना चाहिए।
ऐसा माना जाता है कि यह वाइरस पशुओं से मानव में आया है। अभी तक तो यह वाइरस अफ्रीकी देशों तक ही सीमित है। पर एक मामला फिलीपींस में भी देखने में आया है। ब्रिटेन ने भी अपना डर व्यक्त किया है। इसके बाद यूरोप में भी काफी डर फैला हुआ है। ‘इबोला’ ने अफ्रीकी देशों के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। इस वाइरस के बारे में यह जानकारी है कि यह अफ्रीकी देशों से आगे बढ़कर एशिया तक पहुंच गया है। केन्या से हांगकांग आई एक महिला में ‘इबोला’ के वाइरस पाए जाने की पुष्टि हुई है। हांगकांग की एलिजाबेथ अस्पताल के डॉक्टरों ने कहा है कि हम हालात पर नजर रखे हुए हैं। ब्रिटेन के बर्किंघम में भी एक व्यक्ति में ‘इबोला’ के लक्षण दिखाई दिए हैं। यह व्यक्ति नाइजीरिया से पेरिस, फ्रांस होते हुए ब्रिटेन आया था। ‘इबोला’ का पहला मरीज फरवरी में देखने को मिला था। गिनी के सुदूर गांवों में यह रोग शुरू हुआ था। उसके बाद गिनी से लाइबेरिया, सिएरा लियोन तक फैल गया है। धीरे-धीरे यह पूरी दुनिया में फैल जाएगा, ऐसी दहशत है। लाइबेरिया की राष्ट्रपति एलेन जॉनसन सरलीफ ने महामारी का रूप ले चुके एबोला विषाणु के संRमण से लड़ने के लिए देश में आपातकाल की घोषणा कर दी है। यहां एबोला के खतरनाक वायरस ने तांडव मचाना शुरू कर दिया है। लाइबेरिया के सूचना मंत्री लेविस ब्राउन ने पुष्टि की है कि इस वायरस से पीड़ित लोगों को उनके परिजन घरों से घसीटते हुए लाकर सड़कों पर फेंक रहे हैं। उनका कहना है कि लोगों को लगता है कि इबोला के इलाज के लिए बनाए गए स्पेशल वार्ड से आधे से ज्यादा लोग जिंदा वापस नहीं आते हैं और इसीलिए उनके परिजन रोगियों को सड़कों पर फेंक रहे हैं। हालांकि सरकारी अधिकारियों ने लोगों से अपील की है कि रोगियों को घरों में ही रखें, सरकार खुद रोगियों को घरों से ले जाएगी। यह रोग पसीने और लार से फैलता है। संक्रमित खून और मल के सीधे संपर्क में आने से भी यह फैलता है। इसके अतिरिक्त, यौन संबंध और एबोला से संक्रमित शव को ठीक तरह से व्यवस्थित न करने से भी यह रोग हो सकता है। यह संक्रामक रोग है। ये वायरस संक्रमित जानवर विशेष तौर में बंदर, चमगादड़ या उड़ने वाली लोमड़ी और सूअरों के खून या शरीर के तरल पदार्थ से फैलता है। अब तक इस बीमारी का कोई विशेष उपचार नहीं है। फिर भी इससे ग्रस्त लोगों की मदद के लिए उन्हें ओरल रिहाईड्रेशन थैरेपी, जिसमें रोगी को मीठा और नमकीन पानी पीने के लिए दिया जाता है या नसों में तरल पदार्थ दे सकते हैं। इस रोग में मृत्यु दर काफी ऊंची है। लाइबेरिया की राष्ट्रपति ने विषाणु के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए देश के स्कूलों को बंद करने और अधिकतर सरकारी कर्मचारियों को घर में रहने के आदेश दिए हैं।
 डॉ. महेश परिमल

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