मंगलवार, 8 अप्रैल 2014

विंडोज एक्सपी का उपयोग हो सकता है खतरनाक!

डॉ. महेश परिमल
आज से से विंडोज एक्सपी का इस्तेमाल खतरनाक होने वाला है, क्योंकि माइक्रोसाफ्ट कंपनी अपने इस सिस्टम को सपोर्ट करना बंद कर रही है। इससे नए ओएस सिस्टम विंडोज 7 या 8 का इस्तेमाल करना होगा, जिससे हेकर्स के लिए खुला मैदान मिल जाएगा। यही नहीं और भी कई परेशानियां आ सकती हैं। जो लोग अपने कंप्यूटर के आपरेटिंग सिस्टम विंडोज-एक्सपी का उपयोग कर रहे हैं, उनके लिए निकट भविष्य में इसका इस्तेमाल एक सरदर्द बन सकता है। कंप्यूटर के क्षेत्र में जिसे जाइंट की उपमा दी गई है, उसी माइक्रोसाफ्ट के वाशिंगटन स्थित हेडक्वार्टर रेडमंड ने विंडोज एक्सपी को सपोर्ट न करने की घोषणा की है। इससे अधिकांश उपभोक्ताओं को नया ओएस सिस्टम अपने कंप्यूटर में लगाना होगा। माइक्रोसाफ्ट कंपनी का कहना है कि जो एक्सपी का इस्तेमाल कर रहे हैं, उन्हें अपने कंप्यूटरों में विंडोज-7 या विंडोज -8 अपग्रेड कर लेना चाहिए। अपग्रेड करने में अभी कुछ दिनों का वक्त है। जो लोग अपने घरों में अपने कंप्यूटरों में आपरेटिंग सिस्टम के रूप में विंडोज एक्सपी का उपयोग कर रहे हैं, उन्हें भी सिस्टम अपग्रेड के लिए विचार करना होगा। कंप्यूटर के विशेषज्ञों का कहना है कि माइक्रोसाफ्ट अपने आपरेटिंग सिस्टम का सपोर्ट नहीं करेंगे, इसका आशय यह है कि सिस्टम का कोई अपग्रेडेशन या साफ्टवेयर का सपोर्ट माइक्रोसाफ्ट की तरफ से नहीं मिलेगा।
सार्वजनिक क्षेत्रों की अधिकांश संस्थाएं जैसे बैंक और कापरेरेट कंपनियां विंडोज एक्सपी का इस्तेमाल करती हैं। उन्होंने अभी अपग्रेड का निर्णय नहीं लिया है। अपग्रेड में अधिक समय नहीं लगता। इसमें कंप्यूटर की हार्ड डिस्क बदलने की आवश्यकता नहीं है, केवल आपरेटिंग सिस्टम बदलने की आवश्यकता होगी। उल्लेखनीय है कि 2001 में विंडोज एक्सपी के आने के बाद विंडोज वीस्टा 2006 आया। साफ्टवेयर के क्षेत्र में सामान्य रूप से कंपनियां पांच साल तक सपोर्ट करती हैं, फिर जब उसका नया वर्जन बाजार में जाता है। विंडोज एक्सपी को माइक्रोसाफ्ट पिछले 12 वर्षो से सपोर्ट कर रही है। अब विंडोज एक्सपी को अपग्रेड करने की आवश्यकता पड़ी, तो 40 लाख कंप्यूटरों को अपग्रेड करना होगा। जो अपग्रेड करवा रहे हैं, वे विंडोज-8 नहीं, पर विंडोज-7 में अपग्रेड करवा रहे हैं। इस संबंध में विशेषज्ञों का कहना है कि विंडोज-8 भले ही लेटेस्ट वर्जन हो, पर इसमें कंप्यूटर हेंग होने की शिकायत अधिक मिल रही है।
अब जब स्मार्ट फोन और टेबलेट का इस्तेमाल अधिक हो रहा है, तब विंडोज के बदले गूगल एंड्राइड और एपल आईओएस अधिक इस्तेमाल में लाया जा रहा है। आपरेटिंग सिस्टम का इस्तेमाल करने के बदले विशेषज्ञ अपने अलग ही विचार रखते हैं। उनका मानना है कि माइक्रोसाफ्ट ने कुछ सोच-समझकर ही यह निर्णय लिया होगा। ऐसा माना जा रहा है कि विंडोज-7 या-8 या अन्य किसी आपरेटिंग सिस्टम की तरफ नहीं दिलचस्पी नहीं दिखाई, तो उनके कंप्यूटर का मेंटेनेंस खर्च बढ़ जाएगा। क्योंकि माइक्रोसाफ्ट के सपोर्ट के बिना वायरस का हमला लगातार जारी रहेगा। जब विंडोज एक्सपी को माइक्रोसाफ्ट सपोर्ट करना बंद करेगा, यानी हेकर्स आपरेटिंग सिस्टम में दोष खोजना शुरू कर देंगे। जब आपरेटिंग सिस्टम पर कोई नियंत्रण नहीं होगा, तो हेकर्स के लिए खुला मैदान मिल जाएगा। वे आसानी से किसी के भी कंप्यूटर पर अपना कब्जा जमा सकते हैं। कंप्यूटर उपभोक्ता की इंटरनेट सुरक्षा व्यवस्था खतरनाक हो जाएगी। सामान्य रूप से साफ्टवेयर अपडेट वर्जन का इस्तेमाल और वह कंप्यूटर उपभोक्ताओं के लिए कितना उपयोगी है, इस पर नजर रखने के लिए कंप्यूटर इंजीनियरों की पूरी टीम होती है, जब यह टीम काम करना बंद कर देगी, तो हेकर्स के लिए मानो पौ-बारह हो जाएंगे।
घरों में इस्तेमाल में लाया जाने वाले कंप्यूटरों में विंडोज-7 या-8 के पायरेटेड वर्जन होते हैं, इसलिए कंप्यूटर इंजीनियर उसकी नियमित जांच करते हुए उसके सपोटर को मुफ्त में लोड कर देते हैं। परंतु बड़ी कंपनियां इसके लिए मोटी राशि का भुगतान करती हैं। उल्लेखनीय है कि माइक्रोसाफ्ट अपनी आपरेटिंग सिस्टम विंडोज एक्सपी को सपोर्ट करना 8 अपेैल से बंद कर देगी, तो इसका मतलब यह नहीं है कि आपका कंप्यूटर ठप्प हो जाएगा, वह नाकाम हो जाएगा। पर यह आलेख पढ़कर आप इतना तो कर ही सकते हैं कि अपने इंजीनियर से कहकर विंउोज एक्सपी को अपडेट करवा लें। संभव है माइक्रोसाफ्ट ने यह घोषणा अपने अन्य उत्पादों की बिक्री बढ़ाने के लिए की होगी, ताकि लोग विंडोज एक्सपी 7-8 के बजाए उनके दूसरे आपरेटिंग सिस्टम को अपने कंप्यूटर में लगवाएं। कुछ भी हो, पर इतना तो तय है कि अब कंप्यूटर उपभोक्ता 8 अप्रैल के बाद कुछ समय के लिए परेशान हो सकते हैं। संभव है तब तक इसका विकल्प भी खोज लिया जाए। इंजीनियर तो खामोश बैठेंगे नहीं, वे ही कुछ नया जुगाड़ करेंगे। तब तक हमें अपने कंप्यूटर पर निश्चिंत होकर काम करते रहना होगा।
  डॉ. महेश परिमल

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