मंगलवार, 29 दिसंबर 2009

मायानगरी के पहले सुपरस्टॉर


आज जन्‍म दिन है जिनका

हिंदी फिल्म जगत में अपने अभिनय से लोगों को दीवाना बनाने वाले अभिनेता तो कई हुए और दर्शकों ने उन्हें स्टार कलाकार माना पर सत्तर के दशक में राजेश खन्ना पहले ऐसे अभिनेता के तौर पर अवतरित हुए जिन्हें दर्शको ने 'सुपर स्टार .की उपाधि दी। पंजाब के अमृतसर में 29 दिसंबर 1942 को जन्में जतिन खन्ना उर्फ राजेश खन्ना का बचपन के दिनों से ही रूझान फिल्मों की और था और वह अभिनेता बनना चाहते थे हांलाकि उनके पिता इस बात के सख्त खिलाफ थे। राजेश खन्ना अपने करियर के शुरूआती दौर में रंगमंच से जुड़े और बाद में यूनाईटेड प्रोडयूसर ऐसोसियिशेन द्वारा आयोजित ऑल इंडिया टैलेंटं कान्टेस्ट में उन्होंने भाग लिया. जिसमें वह प्रथम चुने गए। राजेश खन्ना ने अपने सिने करियर की शुरूआत 1966 में चेतन आंनद की फिल्म .आखिरी खत 'से की लेकिन कमजोर पटकथा और निर्देशन के कारण यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह से नकार दी गयी। वर्ष 1966 से 1969 तक राजेश खन्ना फिल्म इंडस्ट्री मे अपनी जगह बनाने के लिए संघर्ष करते रहे। फिल्म 'आखिरी खत.के बाद उन्होंने राज ्बहारो के सपने, औरत, डोली जैसी कई फिल्मों मे अभिनय किया लेकिन अच्छे अभिनय के बावजूद भी फिल्म बाक्स आफिस पर सफल नहीं हुयी। राजेश खन्ना के अभिनय का सितारा निर्माता.निर्देशक शक्ति सामंतकी क्लासिकल फिल्म .अराधना से चमका। बेहतरीन गीत.संगीत और अभिनय से सजी इस फिल्म की .गोल्डन जुबली. कामयाबी ने न सिर्फ पार्श्वगायक किशोर कुमार को शोहरत की बुंलदियां पर पहुंचा दिया साथ ही राजेश खन्ना को भी .स्टार. के रूप में स्थापित कर दिया। आज भी इस फिल्म के सदाबहार गीत दर्शकों और श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देते हैं। आर.डी.बर्मन के संगीत से सजी मेरे सपनो की रानी कब आएगी तू, रूप तेरा मस्ताना प्यार मेरा दीवाना ्कोरा कागज था ये मन मेरा, गुन गुना रहे है भंवरे जैसे फिल्म के इन मधुर गीतों की तासीर आज भी बरकरार है।
फिल्म अराधना की सफलता के बाद अभिनेता राजेश खन्ना शक्ति सामंत के प्रिय अभिनेता बन गए। बाद में उन्होंने राजेश खन्ना को कई फिल्मों में काम करने का मौका दिया। इनमें कटी पतंग 1970, अमर प्रेम 1971, अनुराग 1972, अजनबी 1974, अनुरोध 1977 और आवाज 1984 जैसी कई सुपरहिट फिल्में शामिल है। फिल्म अराधना की सफलता के बाद राजेश खन्ना की छवि रोमांटिक हीरो के रूप में बन गयी। इस फिल्म के बाद निर्माता निर्देशकों ने अधिकतर फिल्मों में उनकी रूमानी छवि को भुनाया। निर्माताओं ने
उन्हें एक कहानी के नायक के तौर पर पेश किया. जो प्रेम प्रसंग पर आधारित फिल्में होती थी। इन फिल्मों में कटी पतंग, दो रास्ते, सच्चा झूठा, आन मिलो सजना, अंदाज जैसी फिल्में शामिल है। सत्तर के दशक में राजेश खन्ना लोकप्रियता के शिखर पर जा पहुंचे और उन्हें हिंदी फिल्म जगत के पहले सुपरस्टार होने का गौरव प्राप्त हुआ। यूं तो उनके अभिनय के कायल सभी थे लेकिन खासतौर पर टीनएज लड़कियों के बीच उनका क्रेज कुछ ज्यादा ही दिखाई दिया।
एक बार का वाकया है जब राजेश खन्ना बीमार पड़े तो दिल्ली के कॉलेज की कुछ लड़कियों ने उनके पोस्टर पर बर्फ की थैली रखकर उनकी सिकांइ शुरू कर दी ताकि उनका बुखार जल्द उतर जाए। इतना ही नहीं लड़कियां उनकी इस कदर दीवानी थी कि उन्हें अपने खून से प्रेम पत्र लिखा करती थी और उससे ही अपनी मांग भर लिया करती थी। सत्तर के दशक में राजेश खन्ना पर यह आरोप लगने लगे कि वह केवल रूमानी भूमिका ही निभा सकते है। राजेश खन्ना को इस छवि से बाहर निकालने में निर्माता -निर्देशक ऋषिकेश मुखर्जी ने मदद की और उन्हें लेकर 1972 में फिल्म 'बावर्ची ' जैसी हास्य से भरपूर फिल्म का निर्माण किया और सबको आश्चर्यचकित कर दिया। 1972 में ही प्रदशत फिल्म .आनंद .में राजेश खन्ना के अभिनय का नया रंग देखने को मिला। ऋषिकेश मुखर्जी निदेशत इस फिल्म में राजेश खन्ना बिल्कुल नए अंदाज में देखे गए। फिल्म में राजेश खन्ना ने एक ऐसे बीमार व्यक्ति का किरदार निभाया जो चंद दिनों में मरने वाला है लेकिन उसका मानना है जब तक जिंदा रहे जिंदादिल इंसान के तौर पर जिए। फिल्म के एक द्यश्य में राजेश खन्ना का बोला गया यह संवाद बाबूमोशाय 'हम सब रंगमंच की कठपुतलियां है जिसकी डोर ऊपर वाले की उंगलियों से बंधी हुई है कौन कब किसकी डोर खिंच जाए ये कोई नही बता सकता 'उन दिनों सिने दर्शको के बीच काफी लोकप्रिय हुआ था और आज भी सिने दर्शक उसे नहीं भूल पाए 1 969 से 1976 के बीच कामयाबी के सुनहरे दौर में राजेश खन्ना ने जिन फिल्मों में काम किया उनमें अधिकांश फिल्में हिट साबित हुयी लेकिन अमिताभ बच्चन के आगमन के बाद परदे पर रोमांस का जादू जगाने वाले इस अभिनेता से दर्शकों ने मुंह मोड़ लिया और उनकी फिल्में असफल होने लगी। अभिनय मे आयी एकरपता से बचने और स्वंय को चरित्र अभिनेता के रूप मे भी स्थापित करने के लिए और दर्शकों का प्यार फिर से पाने के लिए राजेश खन्ना ने अस्सी के दशक से खुद को विभिन्न भूमिकाओं में पेश किया। इसमें 1980मे प्रदशत फिल्म .रेडरोज. खास तौर पर उल्लेखनीय है। फिल्म में राजेश खन्ना ने नेगेटिव किरदार निभाकर दर्शकों को रोमांचित कर दिया। 1985 में प्रदशत फिल्म'अलग अलग .के जरिए राजेश खन्ना ने फिल्म निर्माण के क्षेत्र में भी कदम रख दिया और इस फिल्म में अभिनय भी किया लेकिन दुर्भाग्य से फिल्म को टिकट खिड़की पर अपेक्षित सफलता नही मिली। फिल्म की असफलता से राजेश खन्ना को काफी आथक क्षति का सामना करना पड़ा और उन्होंने फिल्म निर्माण से तौबा कर ली।
राजेश खन्ना के सिने करियर में उनकी जोड़ी अभिनेत्री मुमताज के साथा काफी पसंद की गयी। उनकी जोड़ी सबसे पहले 1970 में प्रदशत फिल्म .दो रास्ते .में पसंद की गयी। बाद में राजेश खन्ना और मुमताज ने रोटी.सच्चा झूठा, दुश्मन, अपना देश, आप की कसम और प्रेम कहानी जैसी सुपरहिट फिल्म में भी एक साथ काम किया। मुमताज के अलावा राजेश खन्ना की जोड़ी अभिनेत्री शमला टैगोर के साथ भी पसंद की गयी। उनकी जोड़ी वाली सफल फिल्मों में अराधना, सफर, अमर प्रेम और दाग प्रमुख है। राजेश खन्ना को अपने सिने कैरियर में तीन बार फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। राजेश खन्ना को 1970 में प्रदशत फिल्म 'सच्चा झूठा 'के लिए सबसे पहले सर्वश्रोष्ठ अभिनेता के फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके बाद 1971 में प्रदशत फिल्म 'आनंद ' और 1973 में .आविष्कार ' के लिए भी उन्हे
सर्वश्रोष्ठ फिल्म अभिनेता के फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके अलावा 1973 में प्रदशत फिल्म .अनुराग 'में उनके दमदार अभिनय को देखते हुए उन्हें फिल्म फेयर के विशेष पुरस्कार 1990 में राजेश खन्ना के करयिर के 25 वर्ष पूरा होने पर और 2005 में उन्हे लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। राजेश खन्ना ने कई फिल्मों में दोहरी भूमिका निभाकर दर्शकों का मनोरंजन किया है। 1967 में प्रदशत फिल्म'राज 'में सबसे पहले उन्होंने दोहरा चरित्र निभाया था जो उनके सिने करियर की पहली फिल्म भी थी। इसके बाद अराधना 1969 ्सच्चा झूठा 1970, हमशक्ल 1974 ्महाचोर 1976, महबूबा 1976, भोला भाला 1978, कुदरत 1981 ्धरम और कानून 1984 और हमदोनो 1985 में भी राजेश खन्ना ने दोहरी भूमिका निभाकर दर्शकों को रोमांचित कर दिया। फिल्मों में अनेक भूमिकाएं निभाने के बाद राजेश खन्ना समाज सेवा के लिए राजनीति में भी कूद गए। वह 1991 में कांग्रेस के टिकट पर न्यू दिल्ली की लोकसभा सीट से चुने गए। इस चुनाव में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के नेता और अपने समकालीन अभिनेता शत्रुघ्न सिनहा को हराया। 2000 के दशक में जनता की नब्ज को पहचानते हुए राजेश खन्ना ने छोटे पर्दे की ओर भी अपना रूख कर लिया और बी.4.यू और डी.डी मेट्रो के लिए .अपने पराए 'और जी.टीवी के लिए इत्तेफाक जैसे सीरियल मे भी अपने अभिनय का प्रदर्शन दिखाया। राजेश खन्ना अपने चार दशक लंबे सिने करियर में लगभग 125 फिल्मों में काम कर चुके है। उनकी कुछ अन्य उल्लेखनीय फिल्में है 'खामोशी, इत्तेफाक 1969 महबूब की मेंहदी, मर्यादा अंदाज 1971 ्नमकहराम 1973, अजनबी, रोटी 1974, महबूबा 1976, कुदरत, दर्द 1981, राजपूत, धर्मकांटा 1982, सौतन, अवतार. अगर तुम ना होते 1983, आखिर क्यों 1985, अमृत 1986, स्वर्ग 1990, खुदाई 1994, आ अब लौट चले 1999 आदि।
प्रेमकुमार

2 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बढ़िया लेख प्रस्तुति जी .... राजेश खन्ना को बधाई .

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  2. बेहतरीन आलेख!! काका को जन्म दिवस की बधाई.



    यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि आप हिंदी में सार्थक लेखन कर रहे हैं।

    हिन्दी के प्रसार एवं प्रचार में आपका योगदान सराहनीय है.

    मेरी शुभकामनाएँ आपके साथ हैं.

    नववर्ष में संकल्प लें कि आप नए लोगों को जोड़ेंगे एवं पुरानों को प्रोत्साहित करेंगे - यही हिंदी की सच्ची सेवा है।

    निवेदन है कि नए लोगों को जोड़ें एवं पुरानों को प्रोत्साहित करें - यही हिंदी की सच्ची सेवा है।

    वर्ष २०१० मे हर माह एक नया हिंदी चिट्ठा किसी नए व्यक्ति से भी शुरू करवाएँ और हिंदी चिट्ठों की संख्या बढ़ाने और विविधता प्रदान करने में योगदान करें।

    आपका साधुवाद!!

    नववर्ष की अनेक शुभकामनाएँ!

    समीर लाल
    उड़न तश्तरी

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